शिशु का CRISPR से दुर्लभ लिवर रोग का इलाज
| मुख्य पहलू | जानकारी | |---------------------------|----------------------------------------------------------------------------------------------------------| | रोगी | केजे मुलडून, संयुक्त राज्य अमेरिका का 9 महीने का शिशु। | | स्थिति/बीमारी | सीपीएस1 की कमी - एक दुर्लभ, जीवन-घातक जिगर (लिवर) विकार। | | उपचार | व्यक्तिगत रूप से तैयार किया गया CRISPR-आधारित जीन एडिटिंग, विशेष रूप से बेस एडिटिंग। | | वितरण विधि/ डिलीवरी मेथड | लिपिड नैनोपार्टिकल्स जिगर (लिवर) को लक्षित करते हुए। | | शामिल संस्थान | चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया (सीएचओपी) और पेन मेडिसिन। | | शोध का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर | डॉ. किरण मुसुनुरु और डॉ. रेबेका अह्रेन्स-निकलस। | | परिणाम | केजे के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण सुधार और कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं बताए गए। | | सीपीएस1 की पृष्ठभूमि | वंशानुगत यूरिया चक्र विकार; जिगर (लिवर) जहरीली अमोनिया को यूरिया में बदलने में विफल रहता है। | | मानक उपचार | प्रोटीन-प्रतिबंधित आहार, दवाएं और यकृत (लिवर) प्रत्यारोपण। | | इस्तेमाल की गई CRISPR तकनीक | बेस एडिटिंग - डीएनए के एक अक्षर को बिना स्ट्रैंड को काटे बदलता है। | | विकास समयरेखा | निदान के छह महीने के भीतर थेरेपी विकसित, परीक्षण और प्रशासित की गई। | | महत्व | अपनी तरह की पहली थेरेपी जो व्यक्तिगत रोगी के उत्परिवर्तन [mutation] के अनुरूप है। | | संभावित प्रभाव | अन्य दुर्लभ विकारों के इलाज के लिए एक ढांचा; आजीवन दवाओं या सर्जरी पर निर्भरता को कम करता है। |