आईएनएस विक्रांत: भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत
| श्रेणी | विवरण | | ----------------------------------- | ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- | | नाम | आईएनएस विक्रांत (IAC-1) | | प्रकार | विमान वाहक (विक्रांत-श्रेणी) | | डिजाइन एवं निर्माण | युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (WDB) द्वारा डिज़ाइन, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा निर्मित | | स्वदेशी सामग्री | कुल मिलाकर 75% (90% हल, 50% प्रणोदन, 30% हथियार प्रणाली) | | आयाम | लंबाई: 262 मीटर, चौड़ाई: 62 मीटर, विस्थापन: ~43,000 टन | | गति एवं रेंज | 28 समुद्री मील, 7,500 समुद्री मील (बिना ईंधन भरे भारत से ब्राजील) | | क्षमता | चालक दल: ~1,600, तल: 18, डिब्बे: ~2,300, चिकित्सा सुविधाएं: 16-बेड का अस्पताल | | प्रणोदन | 4 जनरल इलेक्ट्रिक LM2500+ गैस टर्बाइन (110,000 एचपी) | | युद्ध प्रबंधन प्रणाली | रूसी सहयोग से टाटा पावर स्ट्रैटेजिक इंजीनियरिंग डिवीजन द्वारा विकसित | | कमीशनिंग | सुपुर्दगी: 28 जुलाई 2022, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कमीशन: 2 सितंबर 2022 | | परियोजना लागत | 20,000 करोड़ रुपये (13 गुना वृद्धि, 12 साल की देरी) | | उड़ान परीक्षण | मध्य-2023 तक पूरा होने की उम्मीद | | मूल आईएनएस विक्रांत (R11) | मैजेस्टिक-श्रेणी, कमीशन: 1961, सेवामुक्त: 1997, निष्क्रिय: 2014 | | विरासत | मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में विक्रांत स्मारक (स्थापना 25 जनवरी 2016) | | महत्व | शक्ति प्रक्षेपण: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR), ब्लू वाटर नेवी महत्वाकांक्षा, निरोधक | | गैर-सैन्य उपयोग | मानवीय सहायता, आपदा राहत, निकासी | | स्वदेशीकरण | आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक |