ओजोन छिद्र, अब भर रहा है
- एक वैज्ञानिक आकलन ने सुझाव दिया है कि अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन 'छिद्र' अब 2066 तक पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद है।
- संयुक्त राष्ट्र समर्थित वैज्ञानिक पैनल ने बताया है कि दुनिया के बाकी हिस्सों में, ओजोन परत के 2040 तक वापस उसी स्थिति -जैसी यह 1980 में थी, में होने की उम्मीद है।
ओज़ोन परत
- विवरण: यह रासायनिक रूप से, एक अणु है जिसमें तीन ऑक्सीजन परमाणु या O3 होते हैं l
- स्थिति: मुख्य रूप से ऊपरी वायुमंडल, एक क्षेत्र जिसे समताप मंडल कहा जाता है, पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किमी के बीच में पायी जाती है।
- महत्व: यह ग्रह पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेता है।
- यूवी किरणों का प्रभाव: इन्हें त्वचा कैंसर और पौधों व जानवरों में कई अन्य बीमारियों और विकृतियों के कारण के रूप में जाना जाता है।
ओजोन की सघनता में कमी का कारण
- दक्षिणी ध्रुव में अद्वितीय मौसम संबंधी स्थितियां: तापमान, दाब, हवा की गति और दिशा जो अंटार्कटिका पर प्रबल होती है।
- ओजोन क्षरण का मुख्य कारण: औद्योगिक रसायनों की एक श्रेणी का उपयोग जिसमें क्लोरीन, ब्रोमीन या फ्लोरीन मुख्य रूप से क्लोरो-फ्लोरो कार्बन होते हैं जो एयर कंडीशनर, प्रशीतन, पेंट और फर्नीचर उद्योगों में बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाते थे।
रिकवरी के कारण
- हानिकारक औद्योगिक रसायनों का उन्मूलन: ओजोन क्षयकारी पदार्थ या ODS के रूप में जाना जाता है, उन्हें 1989 के मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के माध्यम से समाप्त करने का संकल्प लिया गया था।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का सफल कार्यान्वयन: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल द्वारा प्रतिबंधित लगभग 99% पदार्थों को अब उपयोग से हटा दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप ओजोन परत की धीमी लेकिन निश्चित रिकवरी हुई है।
प्रीलिम्स टेकअवे
- ओजोन क्षयकारी पदार्थ
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल