राम प्रसाद बिस्मिल
- 11 जून ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती है।
- इनका जन्म 1897 में यूपी के शाहजहांपुर में हुआ, वे कम उम्र से ही आर्य समाज से जुड़े हुए थे।
- इन्हें इनके पिता ने घर पर ही पढ़ाया था और बाद में उन्हें उर्दू सीखने के लिए एक मौलवी के पास भेजा गया था।
- वे अपने शिक्षक सोमदेव के माध्यम से उपनिवेश विरोधी संघर्ष से जुड़े।
- 1916 में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लेने के बाद, बिस्मिल भूमिगत क्रांतिकारी संगठन मातृवेदी के संपर्क में आए।
- 1918 के मैनपुरी षडयंत्र में अपनी भागीदारी से उन्हें एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रसिद्धि मिली।
- बिस्मिल ने 'बिस्मिल', 'राम' और 'अज्ञात' के उपनाम से उर्दू और हिंदी में देशभक्ति की कविताएँ लिखीं।
- उनके द्वारा लिखी पुस्तकें: अमरीका कैसे स्वाधीन हुआ, बोल्शेविकों की करतूत तथा पैम्फलेट 'देशवासियों के नाम संदेश' है।
- उन्होंने रूसी नारोडनिक नेता कैथरीन ब्रेशकोवस्की की जीवनी, ""The Little Grandmother of Russian revolution"" का भी अनुवाद किया।
- विरोधी विचारों और कांग्रेस पार्टी के साथ बढ़ती नाराजगी के बाद, उन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन का गठन किया
- 9 अगस्त, 1925 को राम प्रसाद बिस्मिल ने साथी अशफाकउल्ला खान और अन्य लोगों के साथ लखनऊ के पास काकोरी में ट्रेन को लूटने की योजना को अंजाम दिया।
- तथाकथित काकोरी षडयंत्र में मुकदमे के बाद इन चारों क्रांतिकारियों को 19 दिसंबर 1927 को फांसी दे दी गई।
- लखनऊ सेंट्रल जेल में बिस्मिल ने अपनी आत्मकथा लिखी, जिसे हिंदी साहित्य की बेहतरीन कृतियों में से एक माना जाता है।"