सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से 'अवैध' प्रवासियों की आमद पर डेटा पेश करने का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने भारत की जनसांख्यिकी और संसाधनों पर बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों की "असीमित आमद" के कथित प्रभाव पर चिंता व्यक्त की।
मुख्य बिंदु
धारा 6A का विवरण
- धारा 6A बांग्लादेश से आप्रवासन को तीन अवधियों में वर्गीकृत करती है।
- 1 जनवरी 1966 से पहले प्रवेश करने वालों को भारतीय नागरिक माना गया।
- 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच वालों को शर्तों के तहत पंजीकृत किया जा सकता है।
- 25 मार्च 1971 के बाद प्रवेश करने वालों को अवैध माना गया और निर्वासन के अधीन किया गया।
अवैध प्रवासी बनाम शरणार्थी
अवैध प्रवासी
- वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना देश में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों को अवैध प्रवासी माना जाता है।
शरणार्थी
- शरणार्थी शब्द किसी ऐसे व्यक्ति से संबंधित है जो अपने मूल देश से बाहर है और उत्पीड़न के उचित भय के कारण वापस लौटने में असमर्थ या अनिच्छुक है।
कारण
- जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता या राजनीतिक राय के कारण उत्पीड़न का डर।
- इसे शरणार्थियों की स्थिति पर वर्ष 1951 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और उसके बाद वर्ष 1967 के प्रोटोकॉल के तहत परिभाषित किया गया है।
- भारत शरणार्थियों की स्थिति से संबंधित वर्ष 1951 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और उस पर वर्ष 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
- इस अर्थ में राज्यविहीन व्यक्ति भी शरणार्थी हो सकते हैं, जहां मूल देश (नागरिकता) को 'पूर्व अभ्यस्त निवास का देश' समझा जाता है।
प्रीलिम्स टेकअवे
- शरणार्थियों की स्थिति पर वर्ष 1951 संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन