CCRAS-NIIMH, हैदराबाद, पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में तीसरा WHO सहयोगी केंद्र बना
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान विरासत संस्थान (NIIMH) को विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोगी केंद्र के रूप में नामित किया है।
मुख्य बिंदु:
- यह प्रतिष्ठित मान्यता चार वर्ष की अवधि के लिए प्रदान की जाती है।
- WHO द्वारा यह पदनाम एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो पारंपरिक चिकित्सा और ऐतिहासिक अनुसंधान के क्षेत्र में अथक प्रयासों को दर्शाता है।
- भारत में, बायोमेडिसिन और संबद्ध विज्ञान के विभिन्न विषयों में कार्यरत लगभग 58 विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोगी केंद्र हैं।
- उल्लेखनीय है कि CCRAS-NIIMH, हैदराबाद, पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में तीसरा WHO सहयोगी केंद्र बन गया है।
NIIMH, हैदराबाद
- वर्ष 1956 में स्थापित, NIIMH, हैदराबाद, आयुर्वेद, योग प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा, होम्योपैथी, बायोमेडिसिन और भारत में अन्य संबंधित स्वास्थ्य देखभाल विषयों में औषधीय-ऐतिहासिक अनुसंधान का दस्तावेजीकरण और प्रदर्शन करने के लिए समर्पित एक अद्वितीय संस्थान है।
- संस्थान आयुष की विभिन्न डिजिटल पहलों में अग्रणी रहा है, जिसमें अमर पोर्टल भी शामिल है, जो 16,000 आयुष पांडुलिपियों को सूचीबद्ध करता है। साही पोर्टल जो 793 चिकित्सा-ऐतिहासिक कलाकृतियों को प्रदर्शित करता है, जबकि आयुष परियोजना की ई-पुस्तकें शास्त्रीय पाठ्यपुस्तकों के डिजिटल संस्करण प्रदान करती हैं।
- नमस्ते पोर्टल 168 अस्पतालों से संचयी रुग्णता आँकड़े एकत्र करता है, और आयुष अनुसंधान पोर्टल 42,818 प्रकाशित आयुष अनुसंधान लेखों को अनुक्रमित करता है।
- NIIMH में 500 से अधिक भौतिक पांडुलिपियाँ हैं, साथ ही मेडिकल हेरिटेज संग्रहालय और पुस्तकालय में 15वीं शताब्दी ईस्वी की दुर्लभ पुस्तकें और पांडुलिपियाँ हैं।
- संस्थान जर्नल ऑफ़ इंडियन मेडिकल हेरिटेज भी प्रकाशित करता है।
प्रीलिम्स टेकअवे
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